Born
September 09th, 1944
Passed Away
August 24th, 2004
Occupation
self employed
Spouse
Diwan Chand Gupta
Religion
Hindu
Caste
Gupta
Subcaste
goel
Native
Delhi
City
Delhi
State
Delhi
Country
India
तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं।
इसलिए तू कर्मों के फल हेतु मत हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो
You have a right to perform your prescribed duty, but you are not entitled to the fruits of actions
Never consider yourself the cause of the results of your activities, and never be attached to not doing your duty.
Shradhanjali By
Ajay, Veena , Shreya, Udant
Biography of Mrs. Kanta Devi
स्वर्गीय श्रीमती कान्ता देवी का जन्म दिल्ली में 9 सितम्बर 19944 को स्वर्गीय श्री भगवान दास बिंदल तथा श्रीमती इन्द्र देवी के घर हुआ । इनकी 5 बहन है विद्यावती, दयावती, रुक्मणि, सावित्री, शान्ति देवी तथा एक भाई द्वारका प्रसाद जी ((भाभी - चन्द्रकला)) ।
इनका विवाह श्री दीवान चंद गुप्ता से रूप नगर, दिल्ली में संपन्न हुआ ।
श्रीमती कान्ता देवी शुरुआत से ही उद्यमी रहीं। पति श्री दीवान चंद गुप्ता के पुस्तक प्रकाशन के व्यापार की वजह से ही इनकी पुस्तकों में बेहद रूचि रही। विवाह के कुछ वर्षों उपरान्त इन्होंने अपना स्वयं का पुस्तक व्यवसाय प्रारम्भ किया। "Prince Pocket Books" के नाम से, रूप नगर, दिल्ली में अपना व्यवसाय प्रारम्भ किया ।
इसमें सफलता मिलने के बाद इन्होंने नए उद्यमी को दिशा निर्देश देने हेतु "स्मॉल इंडस्ट्री रिसर्च इंस्टिट्यूट, रूप नगर, दिल्ली" के नाम से कार्य प्रारम्भ किया। और लाखों युवाओं को अपना स्वयं का उद्यम लगाने हेतु दिशा दिखाई। सैंकड़ों औद्योगिक पुस्तकों का भी प्रकाशन किया । तथा एक मासिक औद्योगिक प्रतिका का भी नियमित रूप से प्रकाशन किया "Cottage Industries" के नाम से। पति श्री दीवान चंद गुप्ता का इनको पूर्ण सहयोग प्राप्त था। देश विदेश में अपने कार्य व पुस्तकों के माध्यम से अपने तथा अपने परिवार का नाम रोशन किया।
इनके तीन पुत्र व पुत्रवधू है:
1. अरुण कुमार - वंदना (बच्चे: अमीषा, ईशा, शुभम)
2. सुधीर कुमार - अलका (बच्चे: अंकुर, आंचल)
3. अजय कुमार - वीना (बच्चे: श्रेया, उदन्त (किशु))
“माँ” ये शब्द बड़ा अनमोल है| माँ शब्द ही नहीं बल्कि हमारे जीने का आधार है| बिना माँ के जीवन जीना बहुत मुश्किल है| जब सुबह सुबह आपकी आवाज न सुन लूँ तब तक ऐसा लगता है की सुबह हुई ही नही है या फिर लगता है की आज सन्डे है.
माँ और भगवान में कोन बड़ा है ये सोच कर बड़ी असंजस में पड जाता हूँ, किसी के भी जीवन में एक माँ, सर्वश्रेष्ठ और सबसे महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि कोई भी उनके जैसा सच्चा और वास्तविक नहीं हो सकता। माँ हमेशा हमारे अच्छे और बुरे समय में साथ रहती है.
माँ के लिए उनके बच्चे बहुत किमती होते है| अपने जीवन में दूसरों से ज्यादा वो हमेशा हमारा ध्यान रखती है और प्यार करती है। अपने जीवन मे वो हमें पहली प्राथमिकता देती है और हमारे बुरे समय में उम्मीद की रौशनी जला देती है.
जिस दिन हम पैदा होते है वो माँ ही होती है जो सच में बहुत खुश हो जाती है। वो हमारे हर सुख-दुख में हमारा साथ देती हैं और कोशिश करती है कि हमारी सारी परेशानियाँ हल कर दें.
मुझे आज तक पता नहीं चल पाया है की जो मेरे मन में चल रहा होता है वो मेरी माँ को कैसे पता चल जाता है, माँ और बच्चों का रिश्ता बहुत ही अनमोल होता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता है। कोई भी माँ कभी भी अपने प्यार और परवरिश में कमी नहीं लाती हैं.
“माँ” लोग कहते है की भगवान दिखाई नहीं देता लेकिन मैं कहता हूँ की आप ही मेरे भगवान हैं, माँ मैं आपके लिए दुनिया की हर ख़ुशी को आपके चरणों में ला दूंगा बस आप हमेशा मेरे साथ रहना
अजय गुप्ता
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