
Passed Away
February 04th, 2024
Religion
Hindu
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय,
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा –
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।
जैसे कोई व्यक्ति पुराने और प्रयुक्त वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है,
उसी प्रकार आत्मा अपने पुराने शरीरों को छोड़कर नए शरीरों को प्राप्त करता है।
Shradhanjali By
Sushmita Kar
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